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Friday, 1 November 2013
किताबुल्लाह ( वेद या कुरान ) - आर्य राजवीर
इस पुस्तक में ये बताया गया है कि आखिर कौनसी किताब सही, ( कौनसी किताब महान है ) वेद या कुरान ?
किताबुल्लाह ( वेद या कुरान ) - आर्य राजवीर
किताबुल्लाह ( वेद या कुरान ) - आर्य राजवीर
रंगीला रसूल - पं, चमूपति एम्.ए
बहुत लोग नहीं जानते होंगे कि 'रंगीला रसूल' क्या है। जो थोड़ी बहुत जानकारी मिलती है वो कुछ यूँ हैं -
१९२० में दो किताबें प्रकाशित हुईं एक का नाम था- ‘कृष्ण तेरी गीता जलानी
पड़ेगी’, और दूसरी थी – ‘बीसवीं सदी का महर्षि’। इन किताबों में श्रीकृष्ण
और आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द के चरित्र की जिस अन्दाज़ से
विवेचना की गई थी, तत्कालीन पंजाब के हिन्दुओं को वह बहुत नहीं जंची। जवाब
में एक आर्यसमाजी विद्वान पंडित चमूपति ने पैग़म्बर मोहम्मद के चरित्र पर
एक किताब लिखी जिसका शीर्षक रखा – रंगीला रसूल। इस किताब में मोहम्मद साहब
के यौन-जीवन पर बात की गई थी। लेकिन चमूपति जी किताब को अपने नाम से छपवाने
में डर रहे थे कि कहीं ऐसा न हो कि जान से जायं। एक नए प्रकाशक राजपाल ने
चमूपति को गुमनामी का आश्वासन दिया और पुस्तक पर लेखक की जगह ‘दूध का दूध
पानी का पानी’ नाम दे दिया, मगर अपना नाम-पता न छिपाया।
जैसी कि आशंका
थी, १९२४ में किताब छपते ही बड़ा बलवा म़चा। राजपाल जी पर बहुत दबाव आया कि
बतायें कि लेखक कौन है। लेकिन उन्होने अपना वादा न तोड़ा। लिहाज़ा ग़ुस्से
का निशाना वही बने। पहला जानलेवा हमला उन पर १९२६ में एक पठान ने छुरे से
किया। हमलावर को सात साल की जेल हुई और राजपाल जी तीन मास में चंगे हो गए।
कुछ मास बाद एक और हमला हुआ, लेकिन इस बार हमलावर ने उनके धोखे में किसी और
को निशाना बना लिया।
मामला गर्म हो गया और गाँधी जी को भी बयान देना
पड़ा कि ‘एक साधारण तुच्छ पुस्तक-विक्रेता ने कुछ पैसे बनाने के लिए इस्लाम
के पैग़म्बर की निन्दा की है, इसका प्रतिकार होना चाहिये।’ ख़िलाफ़त
आन्दोलन वाले मौलाना मोहम्मद अली ने जामा मस्जिद से तक़रीर की कि काफ़िर
राजपाल को छोड़ना नहीं, उसे सज़ा देनी चाहिये। दबाव में आकर ब्रिटिश सरकार
ने राजपाल जी पर पांच साल तक मुक़द्दमा चलाया, निचली अदालत ने छै महीने की
सज़ा सुनाई। लेकिन हाई कोर्ट ने उस सज़ा को रद्द किया और फ़ैसला दिया कि
किताब में दिए सारे तथ्य सच्चे और ऐतिहासिक हैं। रिहा होने के बाद राजपाल
जी*** ने कहा कि रंगीला रसूल से मुसलमानों का दिल दुखा है इसलिए वे उसका
अगला संस्करण नहीं छापेंगे।
इस के बावजूद १९२९ में एक अन्य हमलावर ने उनकी जान ले ली।
राजपाल जी के हत्यारे इलम दीन को मौत की सज़ा हुई और उसे शहीद माना गया और बाद में गाज़ी का ख़िताब दिया गया।
डाउनलोड लिंक -
रंगीला रसूल - पं, चमूपति एम्.ए
श्री राम वन गमन स्थल
जहँ जहँ राम चरन चली जाहि ( श्री राम वन गमन स्थल ) - शोध कर्ता - डॉo राम अवतार
प्रकाशक - श्री राम सांस्कृतिक शोध संसथान न्यास |
न्यास का गठन भारतीय संस्कृति के संरक्षण व् संवर्धन के लिए 1 दिसंबर 1997 को किया गया | न्यास के उद्देश्य, कार्य तथा संकल्प इस पुस्तक में लिखित है |
लेखक द्वारा श्री राम के वन गमन का अद्भुत विवरण प्रस्तुत किया गया है, " बचपन में श्री राम वनवास मार्ग देखने का संकल्प किया था | आदि कवी वाल्मीकि तथा गोस्वामी तुलसीदास अद्भुत चित्रण किया तो भी मार्ग संबंधी दिशा-निर्देश से जिज्ञासा शांत नहीं होती थी | कल्पना कर्ता था " श्री राम कैसे चले होंगे, कहा ठहरते होंगे, सर्दी,गर्मी,वर्षा तथा जीवो से कैसे रक्षा करते होंगे ; राजकुमारी कोमलांगी माँ सीता कठोर, तपती, ठिठुरती, जमीन पर कैसे चलती होंगी ? पथरीली जमीन उनके पैर लहूलुहान कर देती होगी | " ...............
इस पुस्तक में रमणीय यात्रा का विवरण किया है | आप भी पढ़े -
डाउनलोड लिंक -
जहँ जहँ राम चरन चली जाहि ( श्री राम वन गमन स्थल ) - शोध कर्ता - डॉo राम अवतार
दी गीता ऑन मैनेजमेंट
हमारे प्राचीन धार्मिक ग्रंथो और संस्कृति में मानव जाती के परम कल्याण के लिए अनेकानेक सुझाव दिए गए है जिन पर चलकर मनुष्य अपना आध्यात्मिक विकास किस तरह से करे और अपना जीवन शुध्ध और सदाचारी किस तरह से बनाये यह बताया गया है | आज प्रत्येक व्यक्ति अनिश्चितता के वातावरण में जी रहा है | बहुत सुख और सुविधा मिलाने के बावजूद मनुष्य को शांति नहीं है | आज उसे एक अच्छे मार्गदर्शन कि आवश्यकता है | जिस पर चलकर वह अपने कर्म के प्रति निष्ठावान होकर अपने राष्ट्र धर्म का पालन करे और परिवार में सामंजस्य बनाये रखे | हमारी परमादरणीय धार्मिक पुस्तक श्रीमद्भगवद्गीता जो कि संसार भर में व्यापक रूप से पढ़ी जाती है, ने जीवन के हर एक पहलू को छुआ है |
डॉo एम्.एल.खुराना जो भारतीय राष्ट्रीय सहकारी आवास संघ के सफल व् कर्मठ प्रबंध निदेशक है और कई आंतराष्ट्रीय संगठनो से जुड़े हुए है, उन्होंने अपनी अतयधिक व्यस्तता के बावजूद समय निकालकर " गीता ऑन मैनेजमेंट " नामक यह पुस्तक लिखी जो कि एक सराहनीय प्रयास है |
डाउनलोड लिंक -
दी गीता ऑन मैनेजमेंट - by - डॉo एम्.एल.खुराना
Tuesday, 29 October 2013
आओ राष्ट्र रक्षा में जुट जाये |
आज भारत, और विशेषकर हिन्दू समाज, अपनी सामाजिक, धार्मिक एवं राजनैतिक समस्याओ के कारण अनेक आतंरिक एवं बाह्य संकटो से जूझ रहा है | इन आतंरिक प्रश्नो ने देश कि अखंडता और अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है | राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के द्वितीय सरसंघसंचालक श्री माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर उर्फ़ ' गुरु जी ' ने अपनी पुस्तक " बंच ऑफ़ थॉट्स " ( पृo 177-196 ) में देश कि आतंरिक सुरक्षा के लिए जिन तिन खबरो को मुख्य बताया है, वे है - कट्टरपंथी इस्लाम, साम्राज्यवादी, ईसाइयत और साम्यवाद | यदि इनमे, वर्त्तमान में सत्ता के लिए वोट बैंक और जातिगत राजनीति को और जोड़ ले, तो ये पांच तत्त्व भारत कि अखंडता के लिए खुली चुनौती कि कहानी को पूरा कर देते है |
इस पुस्तक में हिन्दू धर्म पर हमले एवं वोट बैंक कि तुष्टिकरण जैसे समस्याओ से निपटने के उपाय बताये गए है |
डाउनलोड लिंक -
आओ राष्ट्र रक्षा में जुट जाये By - डॉ. के.वी.पालीवाल
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डाउनलोड लिंक - सुफिओ द्वारा भारत का इस्लामीकरण - पुरुषोत्तम
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श्री राम जन्मभूमि अयोध्या, उ.प्र. के सम्बन्ध में बहुधा पूछे जाने वाले प्रश्न
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Rights of non muslim in an Islamic State - by - Samuel Shahid
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सुफिओ द्वारा भारत का इस्लामीकरण - पुरुषोत्तम
21:48 | Filed Under हिन्दुराष्ट्र कि पुस्तके | 0 Comments
किताबुल्लाह ( वेद या कुरान ) - आर्य राजवीर
इस पुस्तक में ये बताया गया है कि आखिर कौनसी किताब सही, ( कौनसी किताब महान है ) वेद या कुरान ?
किताबुल्लाह ( वेद या कुरान ) - आर्य राजवीर
किताबुल्लाह ( वेद या कुरान ) - आर्य राजवीर
21:37 | Filed Under हिन्दुराष्ट्र कि पुस्तके | 0 Comments
रंगीला रसूल - पं, चमूपति एम्.ए
बहुत लोग नहीं जानते होंगे कि 'रंगीला रसूल' क्या है। जो थोड़ी बहुत जानकारी मिलती है वो कुछ यूँ हैं -
१९२० में दो किताबें प्रकाशित हुईं एक का नाम था- ‘कृष्ण तेरी गीता जलानी
पड़ेगी’, और दूसरी थी – ‘बीसवीं सदी का महर्षि’। इन किताबों में श्रीकृष्ण
और आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द के चरित्र की जिस अन्दाज़ से
विवेचना की गई थी, तत्कालीन पंजाब के हिन्दुओं को वह बहुत नहीं जंची। जवाब
में एक आर्यसमाजी विद्वान पंडित चमूपति ने पैग़म्बर मोहम्मद के चरित्र पर
एक किताब लिखी जिसका शीर्षक रखा – रंगीला रसूल। इस किताब में मोहम्मद साहब
के यौन-जीवन पर बात की गई थी। लेकिन चमूपति जी किताब को अपने नाम से छपवाने
में डर रहे थे कि कहीं ऐसा न हो कि जान से जायं। एक नए प्रकाशक राजपाल ने
चमूपति को गुमनामी का आश्वासन दिया और पुस्तक पर लेखक की जगह ‘दूध का दूध
पानी का पानी’ नाम दे दिया, मगर अपना नाम-पता न छिपाया।
जैसी कि आशंका
थी, १९२४ में किताब छपते ही बड़ा बलवा म़चा। राजपाल जी पर बहुत दबाव आया कि
बतायें कि लेखक कौन है। लेकिन उन्होने अपना वादा न तोड़ा। लिहाज़ा ग़ुस्से
का निशाना वही बने। पहला जानलेवा हमला उन पर १९२६ में एक पठान ने छुरे से
किया। हमलावर को सात साल की जेल हुई और राजपाल जी तीन मास में चंगे हो गए।
कुछ मास बाद एक और हमला हुआ, लेकिन इस बार हमलावर ने उनके धोखे में किसी और
को निशाना बना लिया।
मामला गर्म हो गया और गाँधी जी को भी बयान देना
पड़ा कि ‘एक साधारण तुच्छ पुस्तक-विक्रेता ने कुछ पैसे बनाने के लिए इस्लाम
के पैग़म्बर की निन्दा की है, इसका प्रतिकार होना चाहिये।’ ख़िलाफ़त
आन्दोलन वाले मौलाना मोहम्मद अली ने जामा मस्जिद से तक़रीर की कि काफ़िर
राजपाल को छोड़ना नहीं, उसे सज़ा देनी चाहिये। दबाव में आकर ब्रिटिश सरकार
ने राजपाल जी पर पांच साल तक मुक़द्दमा चलाया, निचली अदालत ने छै महीने की
सज़ा सुनाई। लेकिन हाई कोर्ट ने उस सज़ा को रद्द किया और फ़ैसला दिया कि
किताब में दिए सारे तथ्य सच्चे और ऐतिहासिक हैं। रिहा होने के बाद राजपाल
जी*** ने कहा कि रंगीला रसूल से मुसलमानों का दिल दुखा है इसलिए वे उसका
अगला संस्करण नहीं छापेंगे।
इस के बावजूद १९२९ में एक अन्य हमलावर ने उनकी जान ले ली।
राजपाल जी के हत्यारे इलम दीन को मौत की सज़ा हुई और उसे शहीद माना गया और बाद में गाज़ी का ख़िताब दिया गया।
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रंगीला रसूल - पं, चमूपति एम्.ए
21:28 | Filed Under हिन्दुराष्ट्र कि पुस्तके | 0 Comments
श्री राम वन गमन स्थल
जहँ जहँ राम चरन चली जाहि ( श्री राम वन गमन स्थल ) - शोध कर्ता - डॉo राम अवतार
प्रकाशक - श्री राम सांस्कृतिक शोध संसथान न्यास |
न्यास का गठन भारतीय संस्कृति के संरक्षण व् संवर्धन के लिए 1 दिसंबर 1997 को किया गया | न्यास के उद्देश्य, कार्य तथा संकल्प इस पुस्तक में लिखित है |
लेखक द्वारा श्री राम के वन गमन का अद्भुत विवरण प्रस्तुत किया गया है, " बचपन में श्री राम वनवास मार्ग देखने का संकल्प किया था | आदि कवी वाल्मीकि तथा गोस्वामी तुलसीदास अद्भुत चित्रण किया तो भी मार्ग संबंधी दिशा-निर्देश से जिज्ञासा शांत नहीं होती थी | कल्पना कर्ता था " श्री राम कैसे चले होंगे, कहा ठहरते होंगे, सर्दी,गर्मी,वर्षा तथा जीवो से कैसे रक्षा करते होंगे ; राजकुमारी कोमलांगी माँ सीता कठोर, तपती, ठिठुरती, जमीन पर कैसे चलती होंगी ? पथरीली जमीन उनके पैर लहूलुहान कर देती होगी | " ...............
इस पुस्तक में रमणीय यात्रा का विवरण किया है | आप भी पढ़े -
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जहँ जहँ राम चरन चली जाहि ( श्री राम वन गमन स्थल ) - शोध कर्ता - डॉo राम अवतार
02:23 | Filed Under हिन्दुराष्ट्र कि पुस्तके | 0 Comments
श्री राम जन्मभूमि ( अयोध्या विवाद के सन्दर्भ में बहुधा पूछे जाने वाले प्रश्नो द्वारा सच जानिए )
01:54 | Filed Under हिन्दुराष्ट्र कि पुस्तके | 0 Comments
दी गीता ऑन मैनेजमेंट
हमारे प्राचीन धार्मिक ग्रंथो और संस्कृति में मानव जाती के परम कल्याण के लिए अनेकानेक सुझाव दिए गए है जिन पर चलकर मनुष्य अपना आध्यात्मिक विकास किस तरह से करे और अपना जीवन शुध्ध और सदाचारी किस तरह से बनाये यह बताया गया है | आज प्रत्येक व्यक्ति अनिश्चितता के वातावरण में जी रहा है | बहुत सुख और सुविधा मिलाने के बावजूद मनुष्य को शांति नहीं है | आज उसे एक अच्छे मार्गदर्शन कि आवश्यकता है | जिस पर चलकर वह अपने कर्म के प्रति निष्ठावान होकर अपने राष्ट्र धर्म का पालन करे और परिवार में सामंजस्य बनाये रखे | हमारी परमादरणीय धार्मिक पुस्तक श्रीमद्भगवद्गीता जो कि संसार भर में व्यापक रूप से पढ़ी जाती है, ने जीवन के हर एक पहलू को छुआ है |
डॉo एम्.एल.खुराना जो भारतीय राष्ट्रीय सहकारी आवास संघ के सफल व् कर्मठ प्रबंध निदेशक है और कई आंतराष्ट्रीय संगठनो से जुड़े हुए है, उन्होंने अपनी अतयधिक व्यस्तता के बावजूद समय निकालकर " गीता ऑन मैनेजमेंट " नामक यह पुस्तक लिखी जो कि एक सराहनीय प्रयास है |
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दी गीता ऑन मैनेजमेंट - by - डॉo एम्.एल.खुराना
01:02 | Filed Under हिन्दुराष्ट्र कि पुस्तके | 0 Comments
आओ राष्ट्र रक्षा में जुट जाये |
आज भारत, और विशेषकर हिन्दू समाज, अपनी सामाजिक, धार्मिक एवं राजनैतिक समस्याओ के कारण अनेक आतंरिक एवं बाह्य संकटो से जूझ रहा है | इन आतंरिक प्रश्नो ने देश कि अखंडता और अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया है | राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के द्वितीय सरसंघसंचालक श्री माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर उर्फ़ ' गुरु जी ' ने अपनी पुस्तक " बंच ऑफ़ थॉट्स " ( पृo 177-196 ) में देश कि आतंरिक सुरक्षा के लिए जिन तिन खबरो को मुख्य बताया है, वे है - कट्टरपंथी इस्लाम, साम्राज्यवादी, ईसाइयत और साम्यवाद | यदि इनमे, वर्त्तमान में सत्ता के लिए वोट बैंक और जातिगत राजनीति को और जोड़ ले, तो ये पांच तत्त्व भारत कि अखंडता के लिए खुली चुनौती कि कहानी को पूरा कर देते है |
इस पुस्तक में हिन्दू धर्म पर हमले एवं वोट बैंक कि तुष्टिकरण जैसे समस्याओ से निपटने के उपाय बताये गए है |
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आओ राष्ट्र रक्षा में जुट जाये By - डॉ. के.वी.पालीवाल
06:02 | Filed Under हिन्दुराष्ट्र कि पुस्तके | 0 Comments
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